Monday, 29 October 2018

हकीकत में वो लुत्फे ज़िन्दगी पाया नहीं करते

हकीकत  में  वो  लुत्फे  ज़िन्दगी  पाया  नहीं  करते
जो  यादे  मुस्तफा  से  दिल  को  बहलाया  नहीं  करते

ज़बान  पर शिकवे  रंजो  अलम लाया  नहीं  करते
नबी  के  नाम  लेवा  ग़म  से  घबराया  नहीं  करते

ये  दरबारे  मोहम्मद  है  यहाँ  अपनों  का  क्या कहना
यहां  से  हाथ  खली  गैर भी  जाया  नहीं  करते

अरे  वो  ना समझ  क़ुर्बान  होजा  इनके  रौज़े  पर
ये  लम्हे  ज़िन्दगी  में  बार  बार  आया  नहीं  करते

ये दरबारे  मुहम्मद  है  यहाँ  मिलता  है  बे मांगे
अरे  नादाँ  यहां  दमन  को  फैलाया  नहीं  करते

मदीने  जो  भी  जाता  है  वो  झोली  भर  के आता  है
सखी  डाटा  है  खाली हाथ  लौटाया  नहीं  करते

मोहम्मद  मुस्तफा  के  बाग़ के  सब  फूल  ऐसे  हैं
जो  बेपानी  के  तर  रहते  हैं  मुरझाया  नहीं  करते

नदामत साथ  ले  कर  हश्र  में  ऐ आसियो जाना
सुना  है  शर्म  वालो   को  वो  शरमाया  नहीं  करते

जो  उनके  दामाने रेहमत  से  वाबस्ता  है  ऐ  हामिद 
किसी  के  सामने  वह  हाथ  फैलाया  नहीं  करते 

मोहम्मद  मुस्तफा  की  शाने  रेहमत  तो  ज़रा  देखो
सितम  सहते  तो  हैं  लेकिन  सितम  दया  नहीं  करते

अगर   हो  जज़्बए  सादिक़  तो  अक्सर  हमने  देखा  है 
वो  खुद  तशरीफ़  ले  एते  हैं  तर्पया  नहीं  करते 

5 comments:

  1. bahut dino ke baad mili hai naat masha allah bahut achchhi baat hai

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    1. माशाल्लाह बहुत खूबसूरत नात शरीफ है

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wo jiske liye mahfile kaunain saji hai firdose bari jiske wasile se bani hai wo hashmi makki madniul arbi hai wo mera nabi mera nabi mera na...