हकीकत में वो लुत्फे ज़िन्दगी पाया नहीं करते
जो यादे मुस्तफा से दिल को बहलाया नहीं करते
ज़बान पर शिकवे रंजो अलम लाया नहीं करते
नबी के नाम लेवा ग़म से घबराया नहीं करते
ये दरबारे मोहम्मद है यहाँ अपनों का क्या कहना
यहां से हाथ खली गैर भी जाया नहीं करते
अरे वो ना समझ क़ुर्बान होजा इनके रौज़े पर
ये लम्हे ज़िन्दगी में बार बार आया नहीं करते
ये दरबारे मुहम्मद है यहाँ मिलता है बे मांगे
अरे नादाँ यहां दमन को फैलाया नहीं करते
मदीने जो भी जाता है वो झोली भर के आता है
सखी डाटा है खाली हाथ लौटाया नहीं करते
मोहम्मद मुस्तफा के बाग़ के सब फूल ऐसे हैं
जो बेपानी के तर रहते हैं मुरझाया नहीं करते
नदामत साथ ले कर हश्र में ऐ आसियो जाना
सुना है शर्म वालो को वो शरमाया नहीं करते
जो उनके दामाने रेहमत से वाबस्ता है ऐ हामिद
किसी के सामने वह हाथ फैलाया नहीं करते
मोहम्मद मुस्तफा की शाने रेहमत तो ज़रा देखो
सितम सहते तो हैं लेकिन सितम दया नहीं करते
अगर हो जज़्बए सादिक़ तो अक्सर हमने देखा है
वो खुद तशरीफ़ ले एते हैं तर्पया नहीं करते
जो यादे मुस्तफा से दिल को बहलाया नहीं करते
ज़बान पर शिकवे रंजो अलम लाया नहीं करते
नबी के नाम लेवा ग़म से घबराया नहीं करते
ये दरबारे मोहम्मद है यहाँ अपनों का क्या कहना
यहां से हाथ खली गैर भी जाया नहीं करते
अरे वो ना समझ क़ुर्बान होजा इनके रौज़े पर
ये लम्हे ज़िन्दगी में बार बार आया नहीं करते
ये दरबारे मुहम्मद है यहाँ मिलता है बे मांगे
अरे नादाँ यहां दमन को फैलाया नहीं करते
मदीने जो भी जाता है वो झोली भर के आता है
सखी डाटा है खाली हाथ लौटाया नहीं करते
मोहम्मद मुस्तफा के बाग़ के सब फूल ऐसे हैं
जो बेपानी के तर रहते हैं मुरझाया नहीं करते
नदामत साथ ले कर हश्र में ऐ आसियो जाना
सुना है शर्म वालो को वो शरमाया नहीं करते
जो उनके दामाने रेहमत से वाबस्ता है ऐ हामिद
किसी के सामने वह हाथ फैलाया नहीं करते
मोहम्मद मुस्तफा की शाने रेहमत तो ज़रा देखो
सितम सहते तो हैं लेकिन सितम दया नहीं करते
अगर हो जज़्बए सादिक़ तो अक्सर हमने देखा है
वो खुद तशरीफ़ ले एते हैं तर्पया नहीं करते
Ismail saabri
ReplyDeleteBeautifull Naat
ReplyDeleteSubhanallah
ReplyDeletebahut dino ke baad mili hai naat masha allah bahut achchhi baat hai
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