नबी की याद में मिलाद जो मनाते हैं
ठिकाना अपना वो जन्नत में हां बनाते
रबिउन्नूर की बरकत है आशिकों देखो
दीवाने उनके हैं जो भी वो घर सजाते हैं
ये जश्न आक़ा की है यार अदब से बैठो
सुना है हमने कि इसमें वो भी आते हैं
ये रुपया पैसा की औकात क्या है ऐ लोगों
नबी के इश्क़ में आशिक़ तो घर लुटाते हैं
हमारे घर के छतों पर वो देख कर झण्डा
वहाबी नज्दी ऐ तनवीर मुँह बनाते हैं
ठिकाना अपना वो जन्नत में हां बनाते
रबिउन्नूर की बरकत है आशिकों देखो
दीवाने उनके हैं जो भी वो घर सजाते हैं
ये जश्न आक़ा की है यार अदब से बैठो
सुना है हमने कि इसमें वो भी आते हैं
ये रुपया पैसा की औकात क्या है ऐ लोगों
नबी के इश्क़ में आशिक़ तो घर लुटाते हैं
हमारे घर के छतों पर वो देख कर झण्डा
वहाबी नज्दी ऐ तनवीर मुँह बनाते हैं
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